Saturday 11 June 2022

निंदिया

 बिस्तर की झुर्रिया जानती तो है सब !


 दिल दुखने पर आयी अकेली सी निंदिया,

 बीच रात उडी बैरन निंदिया,

 किसी को याद करती बेकरार निंदिया,

कल के ख्याल से उजड़ी आज की निंदिया।  


दादी की आवाज पहनी कहानीवाली निंदिया,

एक दूसरे के लिए जागती ख्यालभरी निंदिया,

तेरे मेरे साथ की प्यारी सी निंदिया,

सुबह आँख से न उतरती बोझल निंदिया।  


अनजाने रास्तों की शक़्लोंभरी निंदिया,  

डर से डरती घबराती निंदिया,  

कुछ खोने के ग़म से तरसती निंदिया,  

पापा जाने के बाद छाई काली सी निंदिया।  


क्लास रूम में आती नटखट निंदिया,  

सफर में आती जागनेवाली निंदिया,  

हाथो  में हाथवाली सुकून भरी निंदिया,  

माँ के आचल की छाव भरी निंदिया।   

                           -  डॉ अतिंद्र सरवडीकर 

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