Wednesday 29 May 2019

ब्रह्म हूँ मैं

ब्रह्म हूँ मै तेज हूँ ग्यान हू गुण खान हूँ
बुद्धि हूँ मै साधना प्रग्य चक्षु  कामना 
कण कण बसे उस ईश का सर्व व्यापी निर्माण हूँ  
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ ।। धृ ।।

ब्रह्म हू जल की तरह ढल जाऊ जिसमे भला 
कर दू जगमग हर जगह मै वह दिव्यांश हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ ।।१।। 

बुद्धी ग्यान ध्यान हूँ, राह अपनी खोज लू ,
नित्य आत्मोत्कर्ष का मै वही राहगार हूँ 
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ ।। २।। 

प्रग्या, मेधा, स्मृति बसे, सृजन की धारा बहें,
शोध, बोध खोजता मै आदी और अनंत हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ।। ३।। 

संग सबका साथी मै, दू लहू और स्वेद मै,
ले चलू जो शिखर तक, मै वही सुधांशू हूँ ,
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ ।। ४।। 

वंचितो को प्रेम दू  दुर्बलों को आसरा 
चाहे सबका जो भला मै वही सु-मनन हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ।। ५।। 

आंधियों को मिटाऊ हर कार्य को सम्हालू
ईश माने देश को जो मै वही आर्यांश हूँ
 ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ।। ६।। 

शांती का है रस्ता मेरा अनुशासन और परंपरा 
संस्कृती को सिमेटा मै वही संस्कार हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ।। ७।। 

तत्व हू अमीट हूूँ ध्येय हूँ आत्मभान हूँ
ध्रुव जैसा अटल निश्चल मै वही विशेष हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ।। ८।। 

बल है और शौर्य भी विचार और निती भी 
पथ दिखाते दिप जैसा मै वह तेजांश हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ।। ९।। 

वेद और विज्ञान जानू कला, कौशल, प्रतिभा पहचानू
देके विद्या जगत उधरू मै वही 'गुरूपद' भी हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ ।।१०।। 

सकल मंगल करन चाहू जगत सुंदर करके जाऊ
व्यापू कण कण देह चंदन मै अखिल ब्रह्मांड हूँ
ब्रह्म हूँ मै ब्रह्म हूँ   ।।११।। 

- डॉ अतिंद्र सरवडीकर 
 

Saturday 4 May 2019

धारावी

होतात म्हणेे लग्नं रस्त्यां लगतच्या झोपड्यांमध्येही! 
आणि नांदतात  कुटुंबंच्या कुटुंबं  हसत खिदळत! 

रांगतात मुलं रेल्वे ट्रैक लगतच्या घरांमधलीही! 
रेल्वेखाली न येता! आणि डास चावूनही मलेरिया न होता! 

वार्यावर उडून जातं छप्पर अन घरात येतो पाऊस रहायला  
कधी जळतात घरं; आणि मग येतो कुणी पत्रकार कैसा लगा? विचारायला.... 

माहेरवाशिण म्हणे इथे आनंदाने येते... 
फाटक्या चिंध्यांचं गाठोडं हुंडा म्हणून नेते.... 

काठी टेकवत हिंडणाऱ्या म्हातार्याने जन्मच बीन घराचा काढलेला असतो, 
त्याच्या जाण्यानं मात्र सारा मोहल्ला का रडत असतो?   

चंद्र म्हणे उगवतो तिथेही अन् वार्यातही गारवा येतो 
धारावीतल्या बसकट छपरांवरही दयाळ पक्षी तसाच गातो! 

- डॉ अतिंद्र सरवडीकर