Thursday 13 September 2018

प्रीतबीज

स्पर्श पार प्रीत प्रेम जागू देत,
शब्द-शब्द मौन-मौन पोहचू देत !

अर्थ भाव गीत स्नेह नांदू  देत
स्वप्न न्हात चांदण्यात राहू देत l

दूर गाव दूर वाट सांजवेल
ठेच लागे हात हाती राहु देत l

डोह खोल चंद्र बिंब सापडेल
त्या तिथेच प्रीतबीज अंकुरेल l

साद देत साद घेत चालुयात
तू मला नी मी तुला, अजून काय?

                     - डॉ अतिंद्र सरवडीकर

Wednesday 7 March 2018

संगीत माने समंदर, संगीत माने नैय्या,
धूप जलती राहोंकी, गीत माने छैय्या!

 संगीत हँसता बिलखता सा. नन्हे मासूम होंठों सा,
संगीत यादोमे दबासा, दादी माँ की झुर्रियों सा,

संगीत सुबहाका पहला सूरज, संगीत नदीका ठंडा पानी,
धूप नहाये बैठा परबत,  कभी आँखोंका खारा पानी,

कोई गाये ख्याल धृपद, भजन कही है शेर,
सुध बुध बिसरी जिन सूर तोरी, वही तेरा है चैन

एक गीत मै दूँ, एक सुर तुम लगाना,
तेरी मेरी राहगरी का बुन जाएगा तानाबाना

कच्चे पक्के धागे होंगे, कच्चा पक्का मेल,
सब सम पे आ जाएंगे, छूट जाएगा खेल...
                              - डॉ अतिंद्र सरवडीकर

YouTube Link: https://youtu.be/9jAcHH8JNqY