अदब की बाते रूह से निकलती है,
जहा छाँव हो बेल वही पनपती है...
छोटे मोटे जानवर चले चाल इक दुसरे की,
परिंदोंको तो है शिकायत छोटसेे आसमान की...
बच्चा गर पलटकर बोले, क़हना उसे 'सम्हाल',
कद अपना उँचा रखकर, हस देना हर बार...
छोटोंमे जचती है तमिज, और बडोमे प्यार,
दोनोमे दोनो नही अगर... झुठा घर संसार...
डॉ अतिंद्र सरवडीकर
जहा छाँव हो बेल वही पनपती है...
छोटे मोटे जानवर चले चाल इक दुसरे की,
परिंदोंको तो है शिकायत छोटसेे आसमान की...
बच्चा गर पलटकर बोले, क़हना उसे 'सम्हाल',
कद अपना उँचा रखकर, हस देना हर बार...
छोटोंमे जचती है तमिज, और बडोमे प्यार,
दोनोमे दोनो नही अगर... झुठा घर संसार...
डॉ अतिंद्र सरवडीकर
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